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संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment)
संरचनात्मक बेरोजगारी तब होती है जब लोगों की स्किल्स और नौकरी की ज़रूरतों में मेल नहीं होता। तकनीकी बदलाव, उद्योगों में परिवर्तन, और नए कामकाज के तरीके इस बेरोजगारी के मुख्य कारण हैं।
इसका मतलब है कि व्यक्ति काम करना चाहता है, पर उसके पास वह स्किल या ज्ञान नहीं है जिसकी आज की इंडस्ट्री को ज़रूरत है। इससे व्यक्ति बेरोजगार हो जाता है, चाहे वो मेहनती और योग्य हो।
मुख्य कारण:
- नई तकनीक का आना और पुरानी का हट जाना।
- उद्योगों का डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन।
- शिक्षा प्रणाली में स्किल गैप (जो पढ़ाया जा रहा है, वो काम में नहीं आ रहा)।
- नई भाषाओं, टूल्स, या तकनीकों की जानकारी का अभाव।
उदाहरण:
सुरेश एक टाइपराइटर ऑपरेटर है, जिसने 15 साल तक सरकारी दफ्तर में काम किया। अब सारे ऑफिस कंप्यूटर पर शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन सुरेश को कंप्यूटर चलाना नहीं आता। ऐसे में सुरेश अब काम के योग्य नहीं माना जाता – यह संरचनात्मक बेरोजगारी है।
इसका असर:
- स्किल पुरानी होने के कारण व्यक्ति लंबे समय तक बेरोजगार रहता है।
- कंपनियों को योग्य कर्मचारी नहीं मिलते।
- देश का स्किल ग्रोथ धीमा हो जाता है।
क्या आप संरचनात्मक बेरोजगारी में आते हैं?
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